सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई - गुलज़ार

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई 
जैसे एहसान उतारता है कोई 

आईना देख के तसल्ली हुई 
हम को इस घर में जानता है कोई 

पक गया है शज़र पे फल शायद 
फिर से पत्थर उछालता है कोई 

फिर नज़र में लहू के छींटे हैं 
तुम को शायद मुग़ालता है कोई 

देर से गूँजतें हैं सन्नाटे 
जैसे हम को पुकारता है कोई

जंगल जंगल पता चला है - गुलज़ार

जंगल जंगल बात चली है पता चला है 
जंगल जंगल बात चली है पता चला है 
अरे चड्डी पहन के फूल खिला है फूल खिला है 

जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है 
जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है 

एक परिंदा है शर्मिंदा था वो नंगा 
इससे तो अंडे के अन्दर था वो चंगा 
सोच रहा है बाहर आखिर क्यों निकला है 
अरे चड्डी पहन के फूल खिला है फूल खिला है 

जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है 

जय हो - गुलज़ार

जय हो, जय हो
जय हो, जय हो
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, 
आजा ज़रीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो
जय हो, जय हो


रत्ती रत्ती सच्ची मैने जान गँवाई है, 
नच नच कोयलों पे रात बिताई है
अखियों की नींद मैने फूंको से उड़ा दी,
गिन गिन तारे मैने उंगली जलाई है

जय हो, जय हो
जय हो, जय हो

चख ले हो चख ले ये रात शहद है चख ले, 
रख ले हाँ दिल है दिल आखरी हद है रख ले
काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना
काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना

आजा आजा जिंद शामियाने के तले, 
आजा ज़रीवाले नीले आसमान के तले


जय हो, जय हो
जय हो, जय हो

कब से हाँ कब से जो लब पे रुकी है कह दे,
कह दे हाँ कह दे अब आँख झुकी है.. कह दे
ऐसी ऐसी रोशन आँखे रोशन दोनो भी हैं हैं क्या

आजा आजा जिंद शामियाने के तले, 
आजा ज़रीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो
जय हो, जय हो

खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? - गुलज़ार

खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।

डाक से आया है तो कुछ कहा होगा
"कोई वादा नहीं... लेकिन
देखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!"

या कहा हो कि... "खाली हो चुकी हूँ मैं
अब तुम्हें देने को बचा क्या है?"

सामने रख के देखते हो जब
सर पे लहराता शाख का साया
हाथ हिलाता है जाने क्यों?
कह रहा हो शायद वो...
"धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!"

सामने रौशनी के रख के देखो तो
सूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं

"इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायद
शहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!"

उसने भी वक्त के हवाले से
उसमें कोई इशारा रखा हो... या
उसने शायद तुम्हारा खत पाकर
सिर्फ इतना कहा कि, लाजवाब हूँ मैं!

हम को मन की शक्ति देना - गुलज़ार

हम को मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरो की जय से पहले, ख़ुद को जय करें। 

भेद भाव अपने दिल से साफ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सके
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरो की जय से पहले ख़ुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना। 

मुश्किलें पड़े तो हम पे, इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का चलें तो धर्म पर
ख़ुद पर हौसला रहें बदी से न डरें
दूसरों की जय से पहले ख़ुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें।

हाँ, मैं पहाड़ हूँ - केशव

न जाने 
कब से खड़ा हूँ

आसमान से होड़ लेता 
चूहे तक के साहस को 
चुनौती देता 
सोचता 
कि बड़ा हूँ 
छू सकता हूँ
ईश्वर तक को 
वहां से 
जहां मैं खड़ा हूँ 
इस बोध से वंचित 
कि बड़े से बड़ा भी 
किसी से छोटा होता है 
सिक्कों के चमचमाते ढेर में 
एक-आध सिक्का 
खोटा भी होता है 
भले ही हर युग गवाह 
पर मेरी पीड़ा अथाह 
जानकर भी न जान पाने की 
मानकर भी न मान पाने की 
हाँ, मैं पहाड़ हूँ 
सीने में दफन 
आर्त्तनाद को 
उलीचने के लिए 
हर पल उद्यत 
छटपटाती 
एक मूक दहाड़ हूँ 
हाँ, मैं एक पहाड़ हूँ।

कभी-कभी - केशव

कभी-कभी आदमी 
अपने क़द से ही 
डर जाता है 
अपने किए के लिए 
बिन मरे ही मर जाता है 
यह इसलिए होता है 
कि वह अपने क़द से 
छोटा होकर 
दूसरे के क़द में आँख मूंद 
लगा देता है छलांग 
और अपने दुख से 
निजात पाने के लिए 
दूसरे के सुख में 
लगा देता है सेंध 
और कभी-कभी 
अपने क़द से 
बड़ा भी हो जाता है आदमी 
कभी-कभी डूबकर भी 
तिर आता है आदमी 
यह इसलिए होता है 
कि अपने लिए जीने से पहले 
दूसरों के लिए जीने का 
सुख पा लेता है वह 
दूसरे के दुख से गुज़र कर 
अपने दुख की थाह पा लेता है वह।