शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

मक्की और चक्की - जगदीशचंद्र शर्मा

हिरन कहीं से लेकर आया
बोरे में भर मक्की,
उसकी घरवाली जंगल में
लगी पीसने चक्की।
निकला कोई शेर उधर से
करने सैर-सपाटा,
प्राण बचाकर हिरनी भागी
धरा रह गया आटा।

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