गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

ग्यारह साल की लड़की - त्रिलोक महावर

प्यासी धरती पर 
गिरती पसीने की बूँदें 
पूछती हैं साँवली लड़की से 
नदी का अता-पता 

हैरान लड़की लिखना चाहती है 
रिपोर्ट गुमशुदा नदी की 
जो बहती थी 
पिछले साल तक 

लड़की परेशान है 
पानी के बग़ैर 
सनेगा कैसे मकई का आटा 
देगची में कैसे पकेगी दाल 
चावल पड़े हैं 
बग़ैर धुले हुए 
दादी ने अभी तक नहीं लिया है 
चरणामृत 
माँ ने दिया नहीं अभी तक 
अर्घ्य सूर्य को 
और तुलसी के बिरवे को पानी
श्यामा गाय प्यासी है 
तीन दिन से नहीं लिपि है झोंपड़ी 

सोचते-सोचते 
अभी से सयानी हो गई 
ग्यारह साल की लड़की ।

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