रविवार, 6 दिसंबर 2015

चलो मदरसे - श्रीनाथ सिंह

चलो सहेली चलो मदरसे,
निकलो, निकलो ,निकलो घर से।
लिखना सीखो ,पढ़ना सीखो,
गुण के गहने गढ़ना सीखो।
दिन दिन आगे बढ़ना सीखो।
छोड़ो नींद उठो बिस्तर से।
चलो सहेली चलो मदरसे।।
हँसना सीखो गाना सीखो,
दुःख में भी मुस्काना सीखो।
सब का चित्त चुराना सीखो
मेल बढ़ाओ दुनिया भर से।
चलो सहेली चलो मदरसे।।
डट कर सेवा करना सीखो,
कष्ट दुखी का हरना सीखो।
देश धर्म पर मरना सीखो,
फूल तुम्हारे उपर बरसे।
चलो सहेली चलो मदरसे।।

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