शनिवार, 28 नवंबर 2015

मीठे बोल - सोहनलाल द्विवेदी

मीठा होता खस्ता खाजा
मीठा होता हलुआ ताजा,
मीठे होते गट्टे गोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठे होते आम निराले
मीठे होते जामुन काले,
मीठे होते गन्ने गोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठा होता दाख छुहारा
मीठा होता शक्कर पारा,
मीठा होता रस का घोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठी होती पुआ सुहारी
मीठी होती कुल्फी न्यारी,
मीठे रसगुल्ले अनमोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लगा इसे पढ़कर। यह कविता हमें पहली कक्षा में थी. एक बार फिर उस दौर में पहुंचाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद:)

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  2. आज हिन्दी साहित मे पं सोहनलाल व्दिवेदी के साहित प्रेमी है और ये रचना ने मुझे अपना बचपन याद दिलाया इस के लिये मै आप का आभारी हु विजयादश्मी की हृदीक शुभकामना

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  3. आज हिन्दी साहित मे पं सोहनलाल व्दिवेदी के साहित प्रेमी है और ये रचना ने मुझे अपना बचपन याद दिलाया इस के लिये मै आप का आभारी हु विजयादश्मी की हृदीक शुभकामना

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