शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

न दैन्यं न पलायनम्. - अटल बिहारी वाजपेयी

कर्तव्य के पुनीत पथ को 
हमने स्वेद से सींचा है, 
कभी-कभी अपने अश्रु और— 
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है। 

किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में— 
हम कभी रुके नहीं हैं। 
किसी चुनौती के सम्मुख 
कभी झुके नहीं हैं। 

आज, 
जब कि राष्ट्र-जीवन की 
समस्त निधियाँ, 
दाँव पर लगी हैं, 
और, 
एक घनीभूत अंधेरा— 
हमारे जीवन के 
सारे आलोक को 
निगल लेना चाहता है; 

हमें ध्येय के लिए 
जीने, जूझने और 
आवश्यकता पड़ने पर— 
मरने के संकल्प को दोहराना है। 

आग्नेय परीक्षा की 
इस घड़ी में— 
आइए, अर्जुन की तरह 
उद्घोष करें : 
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’

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