गुरुवार, 10 सितंबर 2015

कबीर दोहावली -भाग ४८

आँखि न देखे बावरा, शब्द सुनै नहिं कान । 
सिर के केस उज्ज्वल भये, अबहु निपट अजान ॥ 851 ॥ 

ज्ञानी होय सो मानही, बूझै शब्द हमार ।
कहैं कबीर सो बाँचि है, और सकल जमधार ॥ 852 ॥ 

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